Sunday, July 05, 2009

Ek Gulshan Tha...

एक गुलशन था जलवानुमां इस जगह,
रंग-ओ-बू जिसकी दुनिया में मशहूर थी,
बेग़मों की हँसी गूँजती थी यहीं,
शाह की शानोशौकत में भरपूर थी

ताज की शक्ल में जब तक ये क़िला,
गोल्कोंड़ा की अज़्मत करेगा बयां,
मिट सकेगी नहीं शानेमुल्केदक्कन,
मिट सकेगा नहीं उसका कोई निशां

ये क़िला ये फ़सीना ये वीरानियां,
हैं उसी शान-ओ-शौकत की परछाइयां,
जिस की दिलकश कहानी का है राज़दां,
ये नीला सितारों जड़ा आसमां

वक़्त की मार सहकर जो कायम रहे,
कैफ़ियत बस यही थी उसी रान की,
गोल्कोंड़ा की अज़्मत का कहना ही क्या,
ये क़िला है निशानी उसी शान की

Courtesy: http://jagjitsingh.wordpress.com/category/jagjit-singh/page/12/

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